किसी की क्या मजाल थी;
जो हमें खरीद सकता;
हम तो खुद ही बिक गये;
खरीददार देख के।
Pyar Bhari Shayari
जख्म बन जाने की आदत है उन्हें;
रुला कर मुस्कुराने की आदत है उन्हें;
मिलेंगे कभी तो खूब रुलाएंगे;
सुना हैं रोते हुए लिपट जाने की आदत है उन्हें।
नज़रे मिले तो प्यार हो जाता है;
पलके उठे तो इज़हार हो जाता हैं;
ना जाने क्या कशिश हैं चाहत में;
कि कोई अनजान भी हमारी;
जिंदगी का हक़दार हो जाता है।
Pyar Shayari
रुलाना हर किसी को आता है;
हँसाना भी हर किसी को आता है;
रुला के जो मना ले वो सच्चा यार है;
और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही सच्चा प्यार है।
मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ;
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ;
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे;
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ।
Pyar Bhari Shayari