राह तकते है हम उनके इंतज़ार में, साँसे भरते हैं उनके एक दीदार में, रात न कटती है न होता है सवेरा , जबसे दिल के हर कोने में हुआ है आपका बसेरा.
वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए, वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए, कभी तो समझो मेरी खामोशी को, वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें.
जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ, मेरी आंखें एक दस्तक दे देती है, दुःख ये नहीं वो दरवाजा बंद कर देते है, खुशी ये है वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं..
शाम के बाद मिलती है रात, हर बात में समाई हुई है तेरी याद, बहुत तनहा होती ये जिंदगी, अगर नहीं मिलता जो आपका साथ.
खाली खाली न यूँ दिल का मकां रह जाये तुम गम-ए-यार से कह दो, कि यहां रह जाये रूह भटकेगी तो बस तेरे लिये भटकेगी जिस्म का क्या भरोसा ये कहां रह जाये.