आदतें अलग हैं मेरी दुनिया वालों से,
दोस्त कम रखता हूँ पर लाजवाब रखता हूँ।..
ऐ दोस्त अब क्या लिखूं तेरी तारीफ में.
बडा खास है तु मेरी जिंदगी में
नाम मे क्या रखा है दोस्तों,
आशा नाम की लड़की से भी हमे
निराशा ही हाथ लगती है.
डिग्रियाँ तो तालीम के ख़र्चों की रसीदें हैं, दोस्तो
इल्म तो वही है, जो इंसान के किरदार से झलकता है.
*बे-वजह देख रहा हु परेशाँ तुम्हें ‘दोस्त*
*#दीवाने भी लगते नहीं #आशिक़ भी नहीं हो….!!*